दीपावली के अवसर पर आगामी पंद्रह दिनों में दस मुहूर्तो में लोगों को खरीददारी का विशेष मौका मिलेगा। इसमें 30अक्टूबर को पुष्यनक्षत्र और 3नवंबर को धनतेरस के दो योग तो खरीददारी के लिहाज से महायोगहोंगे। धनतेरस पर बन रहा महायोगअगली बार 14साल बाद बनेगा।
खरीददारी के इन श्रेष्ठ मुहूर्तो की शुरुआत 22अक्टूबर शुक्रवार से होगी। जब लोग शरद पूर्णिमा में खरीददारी करेंगे। यह मुहूर्त शाम चार बजे के बाद शुरू होगा। इसके अलावा 24,25,28,29,30अक्टूबर, 2,3,4और 5नवंबर को भी कई ऐसे योग है, जो शास्त्रों में नया आइटम घर लाने के लिए श्रेष्ठ माने गए है। एक साथ आ रहे इन मुहूर्तो को लेकर उत्साही व्यापारी कहते हैं कि नवरात्रि से प्रारंभ हुआ खरीददारी का दौर इन मुहूर्तो में चरम पर रहेगा। अनुमान है कि वाहन, ज्वैलरी,प्रापर्टी, इलेक्ट्रानिक आइटम, गारमेंट्स, फर्नीचर, मोबाइल, सजावटी आइटम आदि की जमकर बिक्री होगी।
धनतेरस का दिन खरीददारी का महायोगमाना जाता है। बुधवार गणेश जी का वार है। इस दिन लोग खरीददारी को विशेष महत्व देते है। इस बार यह दोनों ही दिन एक साथ आ रहे हैं। जो खरीददारी में चार चांद लगा देंगे। ऐसा अवसर इसके बाद 30अक्टूबर 2024को बनेगा। यानी लोगों को फिर ऐसे शुभ दिन के लिए 14साल का लंबा इंतजार करना पडेगा। श्री शर्मा ने बताया कि शरद पूर्णिमा 22अक्टूबर से खरीददारी के मुहूर्तो की शुरुआत हो जाएगी। इसके बाद धनतेरस तक कई मुहूर्त ऐसे हैं, जिनमें लोग खरीददारी कर सकते हैं।
खरीददारी के शुभ मुहूर्त
22अक्टूबर शरद पूर्णिमा
24अक्टूबर रविवार, भडनीनक्षत्र
25अक्टूबर सर्वार्थसिद्धि योग
28 अक्टूबर सर्वार्थसिद्ध योग, रवि योग
29अक्टूबर सर्वार्थसिद्धि योग
30अक्टूबर पुष्यनक्षत्र
2नवंबर सर्वार्थसिद्ध योग
3नवंबर धनतेरस, सर्वार्थसिद्धि योग, बुधवार
4नवंबर नरक चतुदर्शी,हनुमान जयंती
5नवंबर दीपावली
6नवंबर गोवर्धनपूजा, सर्वार्थसिद्धि योग
दीपावली से पहले पुष्यनक्षत्र
दीपावली से पहले आने वाले पुष्यनक्षत्रों को शास्त्रों में विशेष महत्व दिया गया है। इस बार 5नवंबर को दीपावली से पहले 30अक्टूबर को पुष्यनक्षत्र का शुभ योग है। पुष्यनक्षत्र सभी नक्षत्रों का राजा होता है। यह दिन खरीददारी के लिए उत्तम है। व्यापारी भी इस दिन ही अपने बहीखातों और कलम की खरीददारी को शुभ मानते है।
पांच को ही मनेगी दीपावली
दीपावली की तिथि में उलटफेर को लेकर पंडितों ने एकमत से कहा है कि पांच नवंबर को दीपावली मनाई जाएगी। उद्यातिथि को लेकर कोई भ्रम नहीं रहना चाहिए। उनका कहना है कि तीन नवंबर को द्वादशी तिथि दोपहर 3.59बजे समाप्त होगी। इसके बाद धनत्रयोदशीव प्रदोषकालउसी दिन माना जाएगा। अगले दिन चार नवंबर को शाम 4.11बजे के बाद रूप चौदस की तिथि शुरू हो जाएगी। पांच नवंबर को दोपहर 1.04बजे तक चतुदर्शीकी तिथि के बाद दीपोत्सव का पर्व शुरू होगा। छह नवंबर को अन्नकूटमहोत्सव मनाया जाएगा।
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