Friday, August 12, 2011

सोने का हिंडोला और श्रद्धा की डोर

बादलों की लुका-छिपी के साथ कडी धूप व उमस भरी गर्मी भी लाखों श्रद्धालुओं की आस्था को डिगा नहीं पायी। उन्होंने स्वर्ण-रजत निर्मित हिंडोले में विराजमान बांके बिहारी को श्रद्धा व विश्वास की डोर से झुलाया। मंदिर के पट खुलते ही वातावरण प्रभु की जय-जयकार से गूंज उठा।

नयनाभिराम दर्शनों की अभिलाषा लेकर वृंदावन आये भक्तों का हृदय पट खुलते ही आनंद के सागर में हिलोरेंमारने लगा। देशी-विदेशी पुष्पों की सुगंध आत्मविभोर करती रही। श्रद्धालुओं दबाव दर्शन खुलने के साथ से पट बंद होने तक बराबर बना रहा। यूं पहले से कम भीड रही, परंतु पांच लाख श्रद्धालुओं के आने का अनुमान लगाया जा रहा है। दुसायतस्थित राधासनेहबिहारी मंदिर में ठाकुर जी स्वर्ण-रजत हिंडोले में विराजे। राधा दामोदर मंदिर, राधाबल्लभमंदिर, राधारमणमंदिर, राधाबिहारी,लालाबाबूमंदिर समेत अनेक देवालयों में हजारों श्रद्धालु झूलनोत्सवके दर्शनार्थ उमडे। अनेक समाजसेवी संस्थाओं ने श्रद्धालुओं की सुविधार्थ शीतल जल की प्याऊ लगायीं।

श्री वृन्दावन विकास समिति ने बिहारी जी पुलिस चौकी पर खोया-पाया शिविर लगाया। बसेरा गु्रप ने अटल्लाचुंगी पर श्रद्धालुओं को प्रसाद वितरित किया। बसेरा गु्रप चेयरमैन रामकिशन अग्रवाल ने वितरण शिविर का आरंभ किया।

करहआश्रम में तीज पर ठा.सीताराम महाराज का झूलन उत्सव महंत वैष्णव दास के सान्निध्य में मना। शुभारम्भ महंत धर्मदास ने दीप प्रज्ज्वलन कर किया। इस अवसर पर सच्चिदानंद दास, राधिका दास, बिहारीलाल वशिष्ठ, संतदासउपस्थित थे। संचालन प्रबंधक भगत ने किया।

ठाकुर जी ने किया सुखसेजपर विश्राम

बांकेबिहारीमहाराज हिंडोले में दर्शन देने के उपरांत रात्रि विश्राम, वर्ष में एक दिन ही सजने वाली सुख सेज पर किया। जहां पान का बीडा, रजत कलश में जल, रजत कंघी, आदमकद रजत आईनेएवं लड्डू आदि रखे जाते हैं।