Friday, December 31, 2010

46 साल से गूंज रही रामधुन

जामनगर। यहां पर एक ऐसा मंदिर है जहां पिछले 46 साल से रामधुन लगातार गूंज रही है। इस कारण मंदिर का नाम गिनीज बुक में भी दर्ज हो चुका है।

इस बाल हनुमान मंदिर में प्रतिदिन अलग-अलग पालियों में भगवान राम की प्रार्थना की जाती है। इसके लिए एक दिन पहले लोगों के नाम तय किए जाते हैं और इसे मंदिर के नोटिस बोर्ड पर लगाया जाता है। इसे देखकर लोग प्रार्थना केलिए अपने समय का ध्यान रखते हैं।

मंदिर के ट्रस्टी जैसुखभाई गुसानी के अनुसार मंदिर का निर्माण 1961 में प्रेम भीकुजी महाराज द्वारा कराया गया था। तीन वर्ष बाद उन्होंने यहां अपने अनुयायियों के साथ रामधुन की शुरुआत की थी। उसके बाद से लगातार यहां श्रीराम जय राम जय जय राम की धुन जारी है।

राम धुन गाने वाले सभी श्रद्धालु होते हैं। इसमें महिलाएं और बच्चे भी भाग लेते हैं। गिनीज बुक की ओर से मंदिर को 1984 और 1988 में प्रमाणपत्र दिया जा चुका है। गुसानी के अनुसार मंदिर में प्रार्थना में कोई रुकावट न आए, इसके लिए ट्रस्ट ने दिन और रात के लिए रामधुन गाने वाले चार गायकों की व्यवस्था की है। यहां 2001 में आए विनाशकारी भूकंप के दौरान भी प्रार्थना बंद नहीं हुई थी।

Saturday, December 18, 2010

रूप, जय, तेज व यश देती है एकादशी

राजधानी में देवोत्थान एकादशी का पर्व धूमधाम से मनाया गया। इस मौके पर लक्ष्मी-नारायण के साथ भगवान शालिग्राम व तुलसी मैया की पूजा-अर्चना हुई। श्रद्धालुओं ने शालिग्राम व तुलसी को पवित्र गंगाजल से स्नान कराकर मनोकामना सिद्धि की प्रार्थना की।
समस्त एकादशियों में निर्जला एकादशी व देवोत्थान एकादशी का विशेष महत्व है। मनुष्य यदि निर्मल एवं पवित्र भाव से इन एकादशियों में पूजा-अर्चना करे तो संसार में रूप, जय, तेज व यश की प्राप्ति होती है। उसके समस्त विकार तत्काल दूर हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि शालिग्राम प्रभु व तुलसी मईया का बहुत ही भावनात्मक एवं निर्मल रिश्ता है। पर्यावरण की दृष्टि से भी तुलसी के पौधे के हमारे जीवन में विशेष महत्व है। जिस घर में तुलसी का पौधा होता है, वह वातावरण हमेशा स्वच्छ रहता है। तुलसी के पौधे में समस्त देवी-देवताओं का निवास भी है।