Wednesday, February 22, 2012

सभी की हर इच्छा पूरी करतीं हैं मां पाषाण देवी

पाषाण देवी के बारे में कहा जाता है कि सच्चे मन से पूजा करने पर यहां भक्तों की हर मनोकामना पूरी होती है। इससे भक्तों की माता में अटूट श्रद्धा है। मंदिर की स्थापना कुमाऊं के पहले कमिश्नर ट्रेल ने करवाई थी।
प्राकृतिक रूप पत्थर में नवदुर्गा नवों मुखों की प्रतिकृति की पूजा आदिकाल से ही की जा रही है। इतिहासकार प्रो. अजय रावत ने अपनी पुस्तक नैनीताल वैकेंस में लिखा है कि सन् 1823 में जब कुमाऊं कमिश्नर जीडब्ल्यू ट्रेल कुमाऊं के अस्सी साला भूमि बंदोबस्त के लिए नैनीताल पहुंचे। तो उन्होंने ठंडी सडक पर गुजरते समय एक गुफा से घंटी की आवाज सुनी। साथ चल रहे हिंदू पटवारी से पाषाण देवी मंदिर स्थापना के लिए कहा। इतिहास में इसका इतना ही जिक्र है।
पाषाण देवी मंदिर में जो प्रतिकृति है। उसमें मां के 9 मुख बने हैं, कहा जाता है कि मां की चरण पादुकायें झील के अंदर हैं। इसलिए झील के जल को कैलास मानसरोवर की तरह पवित्र माना जाता रहा है। पिछली 5 पीढियों से मंदिर का पुजारी भट्ट परिवार है। वर्तमान पुजारी जगदीश भट्ट ने बताया कि मां पाषाण देवी के भक्त पूरे देश में फैले हैं। मंगल और शनिवार तथा हर नवरात्र पर मां को चोली पहनाने की परंपरा है।

Tuesday, February 7, 2012

भोले की पूजा-अर्चना के नाम फाल्गुन

 माघ माह समापन के नजदीक है। सात फरवरी को माघ महीना संपन्न हो जाएगा और शुरू होगा फाल्गुन महीना। उल्लास एवं उमंग से भरा फाल्गुन महीना भोलेनाथ की पूजा-अर्चना को समर्पित होता है।

फाल्गुन महीने में प्रकृति भी नूतन रूप में नजर आने लगती है। इस समय बसंत दस्तक दे चुका होता है। इसके साथ ही मानव जीवन में भी नई ऊर्जा का संचार होता रहता है। फाल्गुन महीने में ठंड का असर भी कम होने लगता है। इसी उल्लास एवं उमंग के साथ फाल्गुन महीने में फाल्गुनी कांवड यात्रा का रंग भी घुलता है। यह कांवड यात्रा कृष्ण पक्ष प्रतिपदा से शुरू होती है और फिर शिव रात्रि में होता है शिवालयों में जलाभिषेक। इसके अलावा अमावस्या और पूर्णिमा स्नान पर्व को श्रद्धालु गंगा स्नान करते हैं। शास्त्रों के अनुसार फाल्गुन महीने की उत्पत्ति उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र से हुई है।
एक और मान्यता के अनुसार फाल्गुन महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को ही भगवान शिव शंकर और सती का विवाह हरिद्वार के कनखल में ही हुआ था। इसलिए धर्मनगरी में फाल्गुन महीने का अलग ही महत्व है। ज्योतिषाचार्य विपिन कुमार पाराशर बताते हैं कि सावन और फाल्गुन दो ही ऐसे महीने हैं, जो भगवान शिव शंकर की पूजा-अर्चना के नाम होते हैं। उन्होंने बताया कि इन दोनों महीनों में भगवान भोले नाथ की पूजा करने से समस्त मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।







Thursday, February 2, 2012

मनसा देवी मंदिर में यथास्थिति के आदेश

ऐतिहासिक माता मनसा देवी मंदिर में पूजास्थल बोर्ड द्वारा करवाए जा रहे सफेद पेंट का मामला पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में पहुंच गया है। मानवाधिकार कार्यकत्र्ता रंजन लखनपाल द्वारा दायर इस याचिका पर प्राथमिक सुनवाई के बाद न्यायाधीश एमएम कुमार व न्यायाधीश एके मित्तल पर आधारित खंडपीठ ने सभी प्रतिवादियों को आगामी 28 मार्च के लिए नोटिस जारी कर दिया है। साथ ही यथास्थिति के आदेश भी जारी किए हैं। इस याचिका में लखनपाल ने कहा है कि माता मनसा देवी का मंदिर सैकडों वर्ष पुराना है व यह हमारी ऐतिहासिक धरोहर है। इस मंदिर के साथ हर समुदाय के लोगों की आस्था जुडी है। यहां पर सैकडों वर्ष पुरानी ऐतिहासिक तस्वीरें मौजूद हैं। उनका कहना है कि माता मनसा देवी पूजा स्थल बोर्ड अब पूरे परिसर में सफेद पेंट करवा रहा है। याचिका में कहा गया है कि बोर्ड के इस फैसले से इस मंदिर को मिला प्राकृतिक रूप पूर्ण रूप से बदल जाएगा और ऐतिहासिक व पुरातन काल की तस्वीरें छिप जाएंगी। उन्होंने आग्रह किया कि इस प्रकार मंदिर का नक्शा बदलने से रोका जाए। खंडपीठ ने कहा है कि अगली तारीख तक यथास्थिति रहेगी। विशेष बात यह है कि कुछ समय पहले भी प्राचीन मंदिर का विवाद हाईकोर्ट पहुंचा था। वहां पर श्रद्धालुओं द्वारा चढाए जाने वाले सोने-चांदी के आभूषणों से बनने वाले सिक्कों की बिक्री का मामला तूल पकड गया था।