10-10-10,यानिशक्ति, धर्म, ऊर्जा, ज्ञान, सत्ता बल और यशस्वी गुरुपदसे युक्त गुणों को पुष्ट करने का योग। शनि ग्रह से युक्त सदी के अंतराल में बनने वाले इस योग का पूर्णाक 5है। 10का स्वामी शनि है तो 5का सूर्य। इसीलिए दोनों के गुण व लक्ष्य भी बिल्कुल भिन्न हैं। पिता-पुत्र होने के बावजूद दोनों व्यावहारिक व वैचारिक रूप में एक नहीं हो सकते। लेकिन, 10अक्टूबर को रविवार पडने से यह योग सूर्य को पूर्णरूप से प्रभावी बना रहा है। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार प्रत्येक ग्रह के प्रभावी होने से पूर्व उसके लक्षण दिखने लगते हैं और ऐसा ही प्रत्यक्ष भी है।
अंकशास्त्र के अनुसार 10का अंक पूर्णता का प्रतीक एवं जीवन का आधार रूप है। यह संयम और इंद्रियों का निग्रह कर चेतना जाग्रत करने का अवसर प्रदान करता है। 10-10-10का मूलांक5और स्वामी बृहस्पति है, जो मनुष्य को आध्यात्मिक ऊर्जा प्राप्त करने की शक्ति देता है। 5के अंक को परमात्मा का उदर कहा गया है, जिसमें पृथ्वी गर्भस्थ है। कहते हैं कि विद्या, वित्त, आयु, विनय व निधन, ये पांच चीजें गर्भ में ही निहित हो जाती हैं। इसलिए पंचतत्वों से विद्यमान परमात्मा का स्वरूप हिरण्यगर्भ है और हम सभी पृथ्वी, जल, तेज, वायु व आकाश के रूप में हिरण्यगर्भ रूप परमात्मा के अंदर समाहित हैं।
आचार्य डा.संतोष खंडूडीकहते हैं कि पंचतनमात्राएं तत्व, स्पर्श, रूप, रस व गंध के रूप में प्रत्येक में विद्यमान हैं, जो ईश्वर को अपने भीतर धारण करने का मौका देती हैं। तभी मनुष्य ईश्वर की शक्तियों को प्राप्त कर सकता है, जो कि जाति, धर्म व परंपरा से अलग है। डा.खंडूडी के अनुसार 5का अंक इतना प्रभावशाली है कि प्राकृतिक प्रकोप, आतंरिककलह, किसी राज्य में सत्ता परिवर्तन, दुर्घटनाएं व जनसाधारण में भय का वातावरण कायम कर सकता है। इसलिए हमें संयम व इंद्रियों को निग्रह में रखकर इन सब स्थितियों से बचना होगा। जीवन में पूर्णता लाने का यही एकमात्र विकल्प है।
पांच देव और पांच ही प्राण सृष्टि पंचभूत है और जीवन भी। पृथ्वी, जल, वायु, तेज व आकाश से इसकी उत्पत्ति होती है। देव भी पांच हैं, इसलिए उन्हें पंचदेव कहा गया है। पंचांग की रचना भी पांच तत्वों तिथि, वार, नक्षत्र, योग व करण से हुई है। प्राण भी पांच हैं और ज्ञानेंद्रियांभी। पंचांगुलीसाधना, पंच प्रयाग, पंच बदरी,पंच केदार, पंचगव्य, पंचामृत, पंचमेवा,पंच फल, पंच परमेश्वर, पंचक, पंचवर्णीबल सभी पांच के अंक से प्रभावित हैं। &द्यह्ल;क्चक्त्र&द्दह्ल;
यह हैं प्रभावी कारक
सिंह राशि, बृहस्पति ग्रह, मृगशिरानक्षत्र, अग्नि तत्व, शोभन योग और मां दुर्गा का पांचवां अवतार रोहिणी जीवन को विशेष रूप से प्रभावित करेंगे
2 comments:
बकवास है! ये महज एक आंकडे भर है...जिनका ज्योतिष या किसी विद्या से कोई लेना देना नहीं..
भाई कृ्प्या अन्धविश्वास न फैलाईये, हो सके तो इस दैवीय विद्या पर कुछ रहम कीजिए...इन ऊलजलूल अटकलबाजियों के कारण ही इस विद्या का बंटाधार हुआ है...कुछ सार्थक लिखिए ताकि समाज का भी कुछ भला हो सके.
अगले साल ११-११-११- आयेगा फिर उसके बाद १२-१२-१२ आयेगा फिर गिनती १-१-१- से शुरू हो जायेगी ... यह क्रम चलता रहेगा.... शर्माजी की टीप पर ध्यान दें ...
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