फलों की विविधता की दृष्टि से दुनिया में भारत का कोई सानी नहीं। यहां हर मौसम के कुछ खास फल हैं। हर फल की अपनी कुछ खास विशेषता है। बारिश की फुहार पड़ते ही बाजार में जामुन की रौनक बढ़ जाती है।
डाक्टरों की राय में डायबिटीज को नियंत्रित रखने में यह काफी कारगर है। सीधे शब्दों में कहें तो डायबिटीज के लिए जामुन रामबाण दवा है।
जर्मन शोधकर्ताओं के मुताबिक, जामुन की पत्तिायां प्रोजेस्ट्रान [महिला सेक्स हार्मोन] में वृद्धि कर उसे संतुलित रखती हैं। चरक संहिता में वर्णित पुष्यानुग चूर्ण में भी जामुन की गुठली मिलाए जाने का विधान बताया गया है।
जामुन की गुठली में जंबोलीन नामक ग्लूकोसाइट पाया जाता है। यह स्टार्च को शर्करा में परिवर्तित होने से रोकता है जो डायबिटीज के नियंत्रण में काफी मददगार साबित होता है।
अन्य रोगों में भी फायदेमंद है जामुन
-जामुन का सिरका बनाकर पीने से भूख व कब्जियत दूर होती है।
-गले के रोगों में जामुन की छाल को पीसकर उसका सत्व बना लें। इस सत्व को पानी में घोलकर गरारा करने से गला साफ होगा, आपकी आवाज अच्छी बनी रहेगी और सांस की दुर्गध [बैड ब्रेथ] की समस्या से निजात मिलेगी।
-जामुन लिवर [यकृत] को शक्ति प्रदान करने के साथ मूत्राशय की असामान्यता को दूर करने में भी सहायक है।
-जामुन का रस, शहद, आंवले या गुलाब के रस के साथ मिलाकर पीने से रक्त की कमी व शारीरिक दुर्बलता दूर होती है।
-जामुन का शरबत बनाकर रख लें। उल्दी-दस्त या हैजा की होने पर यह शरबत तुरंत राहत देता है।
-गठिया के इलाज में जामुन बहुत उपयोगी है। इसकी छाल को पीसकर बनाए गए घोल का लेप घुटनों पर लगाने से गठिया के दर्द से निजात मिलती है।
-विषैले जंतुओं के काटने पर जामुन की पत्तियों का रस काफी कारगर साबित होता है। जामुन की पत्तिायों में नमी सोखने की अद्भुत क्षमता होती है। काटे गए स्थान पर जामुन की पत्तिायों को बांधने पर घाव जल्दी ठीक होने लगता है।
-पथरी के मरीजों के लिए जामुन की गुठली का चूर्ण दही के साथ खाना काफी फायदेमंद साबित होती है।
-जामुन की गुठली का चूर्ण आधा-आधा चम्मच दो बार पानी के साथ लगातार कुछ दिनों तक देने से बच्चों के बिस्तर में पेशाब करने की आदत छूट जाती है।
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