Saturday, October 17, 2009
श्रीराम भक्ति के द्वितीय आचार्य हैं हनुमान लला
भगवान श्रीराम के चरणों में जितना अनुराग श्री हनुमान का है उतना अन्य किसी का नहीं। एकादश रुद्र के अवतार के रूप में स्वयं भगवान शिव ने श्रीराम के चरणों की सेवा की अपनी कामना को पूरा करने के लिए हनुमान के रूप में अवतार लिया। वे सदैव श्रीराम के चरणों में कैंकर्य करते हैं। वहां से विरत होने के बाद समाधिस्थ हनुमान मानसिक रूप से श्रीराम के पद पंकज की सेवा करते हैं। गोस्वामी तुलसी दास ने श्री हनुमान की श्रीराम भक्ति को इस प्रकार सम्मानित किया है। हनुमान सम नहि बड भागी, नहि कोऊ रामचरन अनुरागी। श्रीराम भक्ति की प्रथम आचार्य स्वयं माता जानकी है, उन्होंने श्री हनुमान की रामभक्ति से प्रसन्न होकर उन्हें आठों प्रकार की सिद्धि व नौ निधियों के साथ-साथ श्रीराम महामंत्र प्रदान किया। इस तरह श्री हनुमान रामभक्ति के द्वितीय आचार्य हुए। उन्हें श्रीराम भक्ति का प्रथम प्रचारक होने का भी गौरव प्राप्त हैं। मानस में गोस्वामी जी ने भगवान शिव के हनुमान अवतार पर इस तरह प्रकाश डाला है। वे लिखते हैं पुरखा ते सेवक भये, हर ते भये हनुमान। अखिल भारतीय षड्दर्शन अखाड परिषद अध्यक्ष महंत ज्ञानदास कहते हैं किभगवान श्रीराम ने धरा धाम पर अपनी समस्त शक्तियों सहित अवतार लिया। स्वयं ब्रह्मा जामवन्त के रूप में अवतरित हुए जबकि हनुमान जी स्वयं शिव के अवतार हैं। उन्होंने कहा कि श्रीराम हमेशा शिव की पूजा करते रहते थे इससे शिव के मन श्रीराम चरणों के पूजन की जो इच्छा शेष थी, उसे उन्होंने श्री हनुमान के रूप में पूरा किया। इस प्रकार श्री हनुमान द्वारा प्रचारित श्रीराम भक्ति से आज संपूर्ण विश्व आलोकित हैं। श्रीराम महामंत्र हनुमान जी से श्री ब्रह्मा, वशिष्ठ, पाराशर, व्यास, शुकदेव, बोधायनाचार्य आदि से होकर रामानंदाचार्य तक पहुंचा। उन्होंने कबीर, रैदास, दादू आदि अपने द्वादश शिष्यों के जरिये श्रीराम भक्ति को जाति-पांति के बंधनों से मुक्त कर आम जन तक पहुंचाया। अखिल भारतीय त्रय अनी अखाडों के प्रधानमंत्री माधव दास कहते हैं कि हनुमानगढी में विराजमान हनुमानजी स्वयं श्रीराम द्वारा स्थापित हैं। चौकी हनुमत बीर के रूप में श्रीराम द्वारा स्थापित यह पीठ भक्तों के सदैव श्री हनुमान का साक्षात वास होने का अनुभव कराती है। जब तक धरा धाम पर रामनाम व रामायण रहेगी तब तक श्री हनुमान हनुमानगढी में साक्षात वास कर भक्तों के मनोरथों को पूरा करेंगे।
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