मानव सदा से ही भगवती लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने के लिए प्रयत्नशील रहा है। माना जाता है कि लक्ष्मी जी धन-संपत्ति-ऐश्वर्य की अधिष्ठात्री हैं। सांसारिक जीवन के सभी कामों में हमें उनकी अनुकंपा की आवश्यकता पडती है, इसीलिए प्रत्येक गृहस्थ अपने घर में उनके आगमन की कामना रखता है।
हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार, शरद ऋतु में आश्विन माह की पूर्णिमा की रात में विष्णुप्रियालक्ष्मी पृथ्वी पर भ्रमण करती हैं और यह देखती हैं कि कौन उनका स्वागत करने के लिए जाग रहा है। जिस घर में उनके स्वागत के लिए रात्रि-जागरण, स्मरण, पूजन-संकीर्तन हो रहा होता है, वहां वे प्रसन्न होकर सुख-समृद्धि का वरदान देकर वैकुंठ वापस लौट जाती हैं।
भगवती लक्ष्मी के द्वारा कौन जाग रहा है? यह पूछे जाने के कारण शरद पूर्णिमा को कोजागरी नाम मिल गया और इस दिन लक्ष्मी के निमित्त व्रत-पूजन करने और रात भर जागने का विधान बन गया। इस वर्ष 3अक्टूबर को शरद पूर्णिमा का व्रत रखा जाएगा और रात में कोजागरीपर्व मनाया जाएगा। लक्ष्मी का आह्वान भक्तगण प्रात:काल स्नान करने के बाद उत्तर दिशा की ओर मुख करके ऐरावत हाथी पर आरूढ भगवती लक्ष्मी का देवराज इंद्र सहित आह्वान और पूजन करें। दिन भर उपवास रखें और सूर्यास्त हो जाने के बाद रात्रि में लक्ष्मी की मूर्ति या चित्र के सामने देशी घी का अखंड दीपक जलाएं, जो रात भर ठीक से जलता रहे। यदि सामर्थ्य हो, तो देवालयों [मंदिरों], बाग-बगीचों, तुलसी, आंवला, बेल और पीपल के पेडों के नीचे भी दीपक रखें। स्वयं सफेद वस्त्र पहनें और देवताओं की मूर्तियों को श्वेत वस्त्र और मोती के आभूषण धारण करवाएं। घर की अच्छी तरह सफाई करें, क्योंकि देवी लक्ष्मी को स्वच्छता पसंद है।
भगवती को शोर-शराबे से भी चिढ है, इसलिए वे कलह-क्लेश वाले स्थान पर भी नहीं ठहरती हैं। जिस घर में रोज लडाई-झगडा होता हो, वहां लक्ष्मीजीकभी प्रवेश नहीं करती हैं। सर्वसुखप्रदान करने वाली देवी को शांति इतनी प्रिय है कि इनके पूजन में घंटा बजाना तक मना है। जिस परिवार में स्त्रियों पर अत्याचार होता है, लक्ष्मीजीउससे विमुख हो जाती हैं। इसलिए आप जान लें कि यदि आप लक्ष्मीजीका आह्वान अपने घर में करना चाहते हैं, तो आपके यहां स्वच्छता, शांति और परस्पर सौहार्द होना बहुत जरूरी है। लक्ष्मी-मंत्र का जाप यदि संभव हो, तो शरद पूर्णिमा की रात्रि में जागकर लक्ष्मी-मंत्र का अधिकाधिक जप या श्रीसूक्त का पाठ करें। कमलगट्टेकी माला पर लक्ष्मी-मंत्र जपने से शीघ्र फल मिलता है। तंत्र ग्रंथों में उनके कईमंत्रोंका उल्लेख मिलता है, लेकिन कोजागरी में इस मंत्र का प्रयोग प्रभावकारी सिद्ध हुआ है-
ॐश्रींह्रींक्लींश्रींलक्ष्मीरागच्छागच्छमम मंदिरेतिष्ठतिष्ठस्वाहा। माना जाता है कि शरद पूर्णिमा की रात्रि से प्रारंभ करके इस मंत्र का नित्य जाप करते रहने से आर्थिक समस्या दूर होती है और वित्तीय स्थिति में सुधार आता है। खीर का भोग शरद पूर्णिमा की रात में माता को गाय के दूध से बनी खीर का भोग लगाया जाता है। खीर का भोग कोजागरीकी लक्ष्मी-पूजा का अनिवार्य अंग है। मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की चांदनी में अमृत का अंश होता है, इसलिए खीर को रात भर चांदनी में रखकर सुबह उसे प्रसाद-स्वरूप ग्रहण किया जाता है। आयुर्वेद के ग्रंथों में भी इसकी चांदनी के औषधीय महत्व का वर्णन मिलता है। अनेक असाध्य रोगों की दवाएं इस खीर के साथ खिलाई जाती हैं। अमृतकाल शरद् ऋतु की पूर्णिमा में अमृतकाल की अवधि में ही चांदनी में अमृत समाविष्ट होता है। हमारी गणना के अनुसार, इस वर्ष अमृतकाल शनिवार की रात्रि में 11.31बजे से शुरू होकर रात भर रहेगा। कोजागरीकी लक्ष्मी-पूजा का उद्देश्य स्वास्थ्य और समृद्धि की प्राप्ति है। इसकी जितनी प्रासंगिकता प्राचीनकाल में थी, उतनी ही आज के आधुनिक युग में भी है।
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