Wednesday, March 4, 2009

मंगलमूर्ति अमंगलहारी

एक हजार साल पहले राजस्थान के सवाई माधोपुर व दौसामें दो पहाडियोंके बीच स्थित घाटा मेहंदीपुरकी तरफ रुख करने से पहले लोग हजार बार विचार करते थे। कारण-चारो ओर घना जंगल और शेर, चीते, बघेरोंका भय। बची-खुची कसर पूरी कर देते थे लुटेरे, लेकिन मंगलमूर्तिहनुमान जी की कृपा से आतंक का नाम भी न बचा। कहते हैं, पवनपुत्र के स्मरण मात्र से भक्तों की आकांक्षापूर्तिहो जाती है। यह बात केवल कहने की नहीं..प्राचीन मेहंदीपुरबालाजीमंदिर के सामने लाखों भक्तों की अनवरत उपस्थिति से पता चलता है कि कलियुग में प्रभु ने

श्री बालाजीके रूप में मानव को भक्ति और मुक्ति का आशीर्वाद प्रदान किया है। मान्यता है कि मेहंदीपुरबालाजीके दर्शन करने से भूत-प्रेत की बाधा तो दूर होती ही है, पागलपन, मिर्गी, लकवा, टीबीऔर बांझपन की बीमारी से भी मुक्ति मिल जाती है।

श्रीबालाजी,श्री प्रेतराजसरकार और श्रीकोतवाल,यानी भैरवजीकी प्रतिमाएं एक पतली-सी गली में स्थित मंदिर में हैं। पुराणविदोंका मानना है कि भगवान श्रीराम ने परमभक्तहनुमानजी को वरदान दिया था, हे पवनपुत्र! कलियुग में घाटा मेहंदीपुरमें आपकी पूजा प्रधान देव के रूप में होगी।

जानकार बताते हैं कि महंत किशोर पुरी के पूर्वजों को स्वप्न में हनुमान जी ने दर्शन दिए और कहा, मेरा विग्रह पास में ही स्थित है। आप अर्चना करें। भोर हुई और महंत जी का परिवार जंगल में पहुंचा। वहां पर्वत में ही प्रभु का विग्रह था। श्री प्रेतराजसरकार और श्री कोतवालजी(भैरव) की प्रतिमाएं भी वहीं थी। कहते हैं कि किसी दंभी शासक ने एक बार बालाजीकी मूर्ति खोदकर निकालने का प्रयास किया था, लेकिन सैकडों हाथ की गहराई तक खुदाई करने के बाद भी जब वह प्रभुश्रीके चरणों तक भी नहीं पहुंच पाया, तो उसने क्षमा मांगी और लौट गया। सच तो यह है कि मूर्ति को किसी कलाकार ने अलग से नहीं गढा, प्रभु विग्रह उसी पर्वत का अंग है और पर्वत हनुमानजी के कनक भूधराकारशरीर का प्रतीक। मूर्ति के चरणों से एक छोटी-सी जलधारा सदैव बहती रहती है, जिसका स्त्रोत कोई खोज नहीं पाया। जिस तरह जलधारा का अंत नहीं, उसी प्रकार मंगलमूर्तिबालाजीकी कृपावृष्टिकी भी कोई सीमा नहीं! बांदी कुईस्टेशन से तकरीबन 24मील दूर स्थित मंदिर में भक्तगण बालाजीको लड्डू, प्रेतराजजीको चावल और कोतवालजीको उडद का प्रसाद चढाते हैं, इसमें से दो लड्डू रोगों से त्रस्त भक्त खाते हैं और शेष प्रसाद पशुओं को खिला दिया जाता है। कहने की बात नहीं कि मंगलमूर्तिकी कृपा से हर व्याधि नष्ट हो जाती है।

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