इंश्योरेंस के क्षेत्र में लेटलतीफी जैसे शब्द बहुत कुछ प्रभावित करते हैं। प्रीमियम में डिले से निवेशकों को काफी नुकसान उठाना पड़ सकता है। प्रीमियम का भुगतान प्रभावित होने से असर बीमा कवर की शर्तो पर पड़ता है। बीमा के क्षेत्र में कैसे ठीक से पैसा लगाया जाए कि किसी तरह की अड़चन न आए। इसके लिए कुछ खास चीजों पर गौर करना पड़ता है। इन पर अमल करके कोई भी निवेशक अपने निवेश और सुरक्षा शर्तो को बेहतर बना सकता है।
समय पर पैसा जमा करें
बीमा के प्रीमियम का समय पर भुगतान बहुत ही जरूरी है। ये निवेश की तरह नहीं है, जहां अगर आपका कोई भुगतान लेट हो जाए, तो कोई खास फर्क नहीं पड़ता है। यहां प्रीमियम का भुगतान लटकने से काफी कुछ प्रभावित होता है। अगर प्रीमियम का समय पर भुगतान न किया जाए, तो बीमा कवर खत्म हो सकता है। ऐसा इसलिए भी जरूरी होता है कि आप जिस मकसद से पैसा जमा कर रहे हैं, उसका पूरा फायदा आपको मिले। बीमा क्षेत्र में भी निवेश के दूसरे तौर-तरीकों की तरह व्यवहार करने से आप मुसीबत में फंस सकते हैं।
आगे की योजना बनाएं बीमा में निवेश के लिए कुछ प्री प्लानिंग कर लेनी चाहिए। आपको जब भी प्रीमियम देना हो, उसके लिए कुछ महीने पहले से ही बचत शुरू कर देनी चाहिए। अचानक आप जब भी पैसा निकालने की कोशिश करेंगे, दिक्कत होगी। ऐसी स्थिति आपके सामने उस वक्त भी आ सकती है, जब आप पहली बार पॉलिसी खरीद रहे हों। इसके लिए जरूरी है कि आप जब पॉलिसी खरीद रहे हों, उसी समय सारी शर्तो को ठीक से समझ लेना चाहिए। इसमें ये भी पता चल जाता है कि आपको बीमा की किस्त किस समय देनी है। इसलिए इसके बाद आप किस्त के लिए पैसा जुटाने की प्लॉनिंग कर सकते हैं। वैसे भी कल किसी ने नहीं देखा है। इसलिए जब भी आप पॉलिसी खरीदें, उसके भुगतान के लिए पूरी प्लॉनिंग बना लें।
पॉलिसी का नेचर देखें
प्रीमियम के भुगतान में पॉलिसी का नेचर बहुत ही खास रोल अदा करता है। इसलिए जरूरी है कि आप जो भी पॉलिसी खरीदें, उसके बारे में ठीक से समझ लें। कोई भी पॉलिसी ये मायने नहीं रखती कि उससे आपको कितना बीमा कवर मिल रहा है। जरूरी ये है कि उसके लिए अपनाए जाने वाले प्रॉसेस में कोई बाधा न आए। किसी भी स्थिति में प्रीमियम का भुगतान प्रभावित नहीं होना चाहिए। पॉलिसी खरीदते वक्त ही प्रीमियम की शर्तो और उससे संबंधित तारीखों को साफ कर लेना चाहिए। इससे आपकी बीमा पॉलिसी सही चलती रहेगी।
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