बाला जी मंदिर में प्रवचन देते हुए महंत गोपालदास ने गौ-सेवा की महिमा का बखान किया। उन्होंने कहा कि गौ-सेवा से एक ही साथ 33करोड देवता प्रसन्न होते है। गाय का दूध, दूध ही नहीं अमृत तुल्य भी होता है। अगर बचपन से गाय के दूध पिलाया जाए तो बच्चे की बुद्धि कुशाग्र होती है।
उन्होंने कहा कि गाय का गोबर आंगन लिपने एवं मंगल कार्यो मे काम आता है। गौ-मूत्र पान करने से पेट के सभी विकार दूर होते हैं। गोबर, गौ मूत्र, गौ-दही, गौ-दूध, गौधृत ये पंचगव्य है। गाय की सेवा से भगवान शिव भी प्रसन्न होते है।
भगवान श्रीकृष्ण छह वर्ष के गोपाल बने क्योंकि उन्होंने गौ सेवा का संकल्प लिया था। भगवान श्रीकृष्ण ने गौ सेवा करके गौ का महत्व बढाया। पर आज यह हमारा दुर्भाग्य है कि जिस देश मे स्वयं भगवान अवतरित होकर गौ-सेवा का महत्व बताया, ऐसे भगवान श्रीकृष्ण के भारत देश में गौ-माताओं दुर्दशा हो रही है।
उन्होंने कहा कि संसार मे हर व्यक्ति किसी न किसी कारण दुखी है। कोई अपने कर्मों या अपने पर आई विपदाओं से दुखी हैं अर्थात वह अपने दुखों के कारण दुखी हैं मगर कोई दूसरे के सुख से दुखी है अर्थात ईष्र्या के कारण भी दुखी है। यानी यहां दुखी हर कोई है कारण भले ही भिन्न-भिन्न हो सकते है।
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गाय के गोबर व मूत्र से खेती में अच्छा खाद, कीट नाशक तैयार किये जा सकते है. इस प्रकार हम यूरिया, डीएपी आदि रासायनिक खादों से मुक्त हो सकते है. जो हमारे खेतों की भूमि को बंजर तथा नुकसान पहुंचा रहे है. इन रासायनिक खादों से हमारी भूमि को बहुत अधिक हानि हो रही है. इसलिये अभी से लोगों को सम्भल जाना चाहिये.
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